सूरत। 1.14 करोड़ रुपए के ड्रग मामले में आरोपी आदिल ने अपनी जमानत के लिए झूठ का सहारा लिया। उसने अपनी मां की स्वास्थ्य स्थिति को आधार बनाते हुए हाई कोर्ट में फर्जी मेडिकल सर्टिफिकेट पेश किया। इस पर अदालत ने सूरत पुलिस को जांच के निर्देश दिए, जिससे सर्टिफिकेट और इसे बनाने वाले डॉक्टर के फर्जी होने का खुलासा हुआ।
आरोपी आदिल ने हाई कोर्ट में कहा कि वह अपनी मां मुनीरा नूरानी की एंजियोग्राफी कराना चाहता है। इसके समर्थन में उसने एक मेडिकल सर्टिफिकेट प्रस्तुत किया। अदालत ने पुलिस को इस प्रमाणपत्र की जांच करने का आदेश दिया।
जांच में पाया गया कि मेडिकल सर्टिफिकेट पर हस्ताक्षर करने वाले डॉक्टर शोभितसिंह ठाकुर असली डॉक्टर नहीं हैं और उनके पास कोई वैध डिग्री या लाइसेंस नहीं है। शोभितसिंह ठाकुर पांडेसरा इलाके में बिना लाइसेंस के “कृष्णा जनरल एंड्रोमा हॉस्पिटल” चला रखा था।
सर्टिफिकेट में डॉ. दिलीप तड़वी का नाम और हस्ताक्षर इस्तेमाल किए गए थे, लेकिन जांच में पता चला कि डॉ. तड़वी ने ऐसा कोई सर्टिफिकेट जारी नहीं किया था।शोभितसिंह ठाकुर ने बताया कि यह सर्टिफिकेट उसे राशेष गुजराती और भूपेंद्र रावत ने बनाकर दिया था। ये दोनों फर्जी सर्टिफिकेट बनाने और बेचने के धंधे में लिप्त हैं।
पुलिस ने इन दोनों को भी गिरफ्तार कर लिया है और इनके खिलाफ मामला दर्ज कर लिया गया है। सूरत क्राइम ब्रांच ने आरोपी शोभितसिंह ठाकुर, राशेष गुजराती और भूपेंद्र रावत को गिरफ्तार कर लिया है। पुलिस इस मामले में अन्य संभावित आरोपियों और फर्जी सर्टिफिकेट के नेटवर्क की जांच कर रही है।
सब एडिटर रजनीश पाण्डेय सूरत गुजरात प्रवासी न्यूज
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