पटना/अहमदाबाद बिहार विधानसभा चुनाव 2025 से पहले सियासी हलचल तेज हो गई है। वक्फ संशोधन कानून के बाद प्रदेश में मुस्लिम समाज की नाराजगी खुलकर सामने आ रही है। इसका असर अब राजनीतिक दलों पर भी दिखने लगा है। NDA में शामिल जनता दल यूनाइटेड (JDU) के कई मुस्लिम नेताओं और कार्यकर्ताओं ने पार्टी से इस्तीफा दे दिया है।
विरोध के सुर सिर्फ बिहार तक सीमित नहीं हैं—पश्चिम बंगाल, असम और उत्तर प्रदेश जैसे राज्यों में भी प्रदर्शन हो रहे हैं। जानकारों का मानना है कि मुस्लिम और यादव मतदाताओं (MY वोटबैंक) की नाराजगी का असर JDU और पूरी NDA पर पड़ सकता है। बिहार में ये वोटबैंक करीब 32 प्रतिशत है, जो कई सीटों पर निर्णायक भूमिका निभाता है।
गिरिराज सिंह का विवादित बयान, NDA की रणनीति स्पष्ट
वहीं केंद्रीय मंत्री गिरिराज सिंह ने विपक्ष पर निशाना साधते हुए कहा है, “2025 के चुनाव में न माय चलेगा, न बाप, का भी बाप पीठा चलेगा। NDA नीतीश कुमार के नेतृत्व में सरकार बनाएगा।” उनके इस बयान को विपक्षी दलों पर तीखा हमला और NDA की आक्रामक रणनीति के रूप में देखा जा रहा है।
गिरिराज सिंह ने यह भी ऐलान किया कि बिहार स्थापना दिवस को एक महीने तक देश-विदेश में मनाया जाएगा, जिसकी शुरुआत गुजरात के अहमदाबाद से की जाएगी। इस पहल को बिहार की सांस्कृतिक विरासत को बढ़ावा देने और मतदाताओं को जोड़ने की रणनीति के तौर पर देखा जा रहा है।
JDU के सामने संकट, विपक्ष के लिए अवसर
JDU के मुस्लिम नेताओं के इस्तीफे के बाद पार्टी के लिए चुनौती बढ़ गई है, खासकर उन क्षेत्रों में जहाँ मुस्लिम मतदाता बड़ी संख्या में हैं। वहीं राष्ट्रीय जनता दल (RJD) और कांग्रेस इस परिस्थिति को भुनाने की कोशिश में लगे हैं। तेजस्वी यादव बेरोजगारी और महंगाई जैसे मुद्दों को उठाकर MY वोटबैंक को अपनी ओर खींचने की रणनीति अपना रहे हैं।
INDIA गठबंधन वक्फ संशोधन कानून का विरोध करते हुए इसे अल्पसंख्यकों के अधिकारों पर हमला बता रहा है। गठबंधन की कोशिश है कि इस असंतोष को चुनावी समर्थन में बदला जाए।
NDA को गैर-MY वोटबैंक से उम्मीद
हालांकि, JDU को भरोसा है कि नीतीश कुमार की विकास छवि, गैर-यादव OBC और दलित वोटबैंक उसे नुकसान से बचा सकते हैं। BJP भी सवर्ण और OBC वोटरों को साधने की कोशिश कर रही है।
बिहार चुनाव 2025 में MY वोटबैंक का रुख निर्णायक साबित हो सकता है। ऐसे में सभी प्रमुख दल इस समुदाय को अपने पक्ष में करने के लिए एड़ी-चोटी का जोर लगा रहे हैं। चुनावी मैदान में असल तस्वीर आने वाले महीनों में और स्पष्ट होगी।