प्रयागराज महाकुम्भ 2025 मै जाने की प्रबल इच्छा पिछले कई सालों से थी! इसका प्रमुख कारण इससे पहले हरीद्वार, नासिक एवं उजैन का महाकुम्भ पूर्ण करना भी था! मै गैंगटओक मै सिक्किम प्रोफेसनल यूनिवर्सिटी मै कुलसचिव के पद पर कार्य कर रहा हूँ! अब यक्ष प्रशन यह था कि प्रयागराज महाकुम्भ मै पहुँचा केसे जाये! हालांकि मैने दो माह पूर्व ट्रेन का 23 जनवरी 2025 का एनजेपी- न्यू जल पाई गुडी से जयपुर तक आने का टिकट करवा रखा था, दो वेटिंग चल रही थी, लेकिन वह 23 जनवरी तक भी वह टिकट confirm नहीं हो पाया! गैंगटक से मै 23 जनवरी को इस आस मै रवाना हो गया था कि दो वेटिंग तो क्लीयर हो जायेगी, मगर मेरे सपनो पर पानी फिर गया जब मुझे गैंगटक से एन जे पी के बीच रास्ते मै पता चला कि टिकट confirm नहीं हुआ है! इस समाचार से मुझे थोड़ा धक्का लगा! मेरी पत्नी सविता देवी रावत एवं बच्चे केदार रावत एवं लीलाधर् रावत जो कि जयपुर जिले की चोमू तहसील मै अशोक विहार कॉलोनी मै रहते है जब उनको यह पता लगा तो वे भी निराश हो गये! मगर ईश्वर को कुछ और ही मंजूर था! एक कहावत है कि होगा वही जो राम रचे राखा! हुआ भी कुछ ऐसा ही!
ऐसे बना टिकट:
जब हम सब जगह से निराश हो जाते है तो परमात्मा के ऊपर सभी चीजों को छोड़ देते है! मैने भी परमात्मा को निवेदन किया कि है ईश्वर प्रयागराज महाकुम्भ मै त्रिवेनी मै स्नान करने की प्रबल इच्छा है, एन जे पी से जयपुर का टिकट कैंसल हो गया है, अब आप ही कुछ कर सकते है, मै आप के आधीन हूँ! परमात्मा ने निवेदन स्वीकार किया, उन्होंने मार्ग दर्शन किया! उन्होंने अपने दो दूत कैलाश शर्मा एवं सुभाष शर्मा जो कि सीकर के रहने वाले है गैंगटक मै कई दशकों तक व्यापार कर रहे है, उनको मैने व्यथा बताई, टिकिट कैंसल होने से मुझे गैंगटक से एन जे पी के बीच रास्ते से बेरंग लोटना पड़ा, उन्होंने कहा की चिंता मत करो गैंगटक से एन जे पी से ट्रेन के लिये तत्काल मै टिकट बनती है! वहा चले जाओ! मै उनसे दडा गाव, गैंगटक से उनसे मिलकर एस एन टी जहा पर रेल्वे टिकट बनती है वहा पर चला गया! तत्काल की खिड़की पर फॉर्म भर कर एक घंटे पहले जमा करवा दिया, मन मै खुशी थी, अब तो टिकट बन जायेगी, प्रयागराज महाकुम्भ मै सपरिवार स्नान हो जायेगा!
लेकिन वह खुशी सुबह दस वजकर दस मिनट पर गायब हो गई, जब तत्काल की खिड़की पर एक महिला अधिकारी ने कहा कि मेरा टिकट नही बना है! प्रयागराज महाकुम्भ के चलते सभी ट्रेन भरी होने से टिकट नही मिला! अब मेरे मन मे फिर से उत्साह खतम हो गया! लेकिन मुझे परमात्मा पर पुरा विश्वास था कि वो कुछ न कुछ जरूर करेगे! मै रेलवे के एक उच्चाधीकारी के पास गया उनसे निवेदन किया! उन्होंने मुझे अपने पास बैठने को कहा! फिर उन्होंने कहा कि राजधानी एक्स्प्रेस मै सेकंड एसी मै vvip कोटा मै टिकट हो सकता है! मै खुश हुआ लेकिन जब किराया देखा तो वह दुगना था, लेकिन मैने उन अधिकारी को हा कहकर टिकिट एन जे पी से देल्ही तक बनवा ली, और घर पर सूचना कर दी की मै आ रहा हूँ! सभी परिजन खुश हो गये! मुझे 25 जनवरी का टिकट मिल गया! प्रयागराज महाकुम्भ के लिये चोमू से ऐसे गया: प्रयागराज महाकुम्भ मै चोमू से केसे जाया जाए इसके लिये मैने चोमू निवासी भुवनेश तीवरी जी को मदद के लिये कहा! उन्होंने मुझे बताया कि चोमू से आदरणीय पंडित श्री महेश शास्त्री जी करीब 11 बसे लेकर कुंभ मै जा रहे है! उनके साथ जाया जा सकता है! महेश शास्त्री जी से मेरा पुराना परिचय था! मैने उनको फोन लगाकर सपरिवार प्रयागराज महाकुम्भ मै चलने का निवेदन किया वे मान गये! उनसे मैने कहा कि confirm तब करूँगा जब एन जे पी से ट्रेन मै बैठे जाऊंगा! क्यो कि ट्रेन कैंसिल हो चुकि थी! पंडित महेश शास्त्री जी सहमत हो गये! मै दोपहर एक बजकर पंद्रह मिनट पर ट्रेन मै बैठ गया! इससे पहले 25 जनवरी की मध्य रात्रि को करीब डेढ़ बजे मै उठा, एकादशी का खाना बनाया और driver के साथ पांच बजकर तीस मिनट पर गैंगटक मै GMC बस स्टैंड पर पहुँच गया! गैंगटक से सिलिगुरि की पहली टेक्सी मै बैठ गया!
अब टेक्सी भरी नही! करीब एक घंटा टेक्सी मै निकला, चिंता हो गई, सात बज गये! गैंगटक से सिलिगुरि करीब चार से पाँच घंटे लगते है! यदि जाम लग जाए तो समय और भी ज्यादा! सिलिगुरि टेक्सी स्टैंडसे एन जे पी करीब 45 मिनट, एन जे पी रेल्वे station taxi स्टैंड से प्लेटफॉर्म तीन जहा ट्रेन आती है करीब एक से डेढ़ kilomeater है, पैदल चल कर जाने मै 15 से 20 मिनट लगते है! करीब सुबह सात बजे तक गैंगटक मै टक्सी मै हम तीन लोग थे, कुल दस सवारी होने पर टेक्सी चलानी थी! मेरे साथ एक यात्री जो सेना मै soljer था उसकी bagdograa से flight thee. वह भी chnitit था! हमने bhagwan से निवेदन किया कि जल्दी से सवारी भेज दे! Bhagwan ने कुछ देर मै सिक्स सवारी beji, अभी भी दो कम थी! Driver le जाने को रेडी नहीं हुआ! करीब 7:30 हो गये! इसके बाद हम चार सवारियों ने मिलकर दो सवारियों का एक्स्ट्रा अमाउंट देने का फेसला किया और 7:30 पर टेक्सी चल पड़ी! रास्ते मै जाम नही मिला, 11:30 पर सिलिगुरि, 12:15 पर रेल्वे टेक्सी स्टैंड एवं 12 :40 पर प्लेटफॉर्म पर पहुँच गया! यदि रास्ते मै जाम मिल जाता तो ये ट्रेन छुट जाती! मगर Bhagwan ने मुझे प्रयागराज महाकुम्भ का स्नान करवाने का निर्णय ले लिया था सो ट्रेन का टिकट मिला, समय से पहुँच गया! ट्रेन मै बेठते ही मैने पंडित महेश शास्त्री जी को फोन कर टिकट confirm करवा दी!
बीच रास्ते मै पता चला कि पत्नी के तेज भूकार है! अभी नहीं जा सकते! बड़े बेटे केदार के B. Com. के 1 Feb. से परीक्षा है बाद मै नही जा सकते, क्यो कि मुझे 12 Feb. को जयपुर से वापस लोटना था! मैने चोमू पहुँच कर निर्णय लिया कि प्रयागराज महाकुम्भ मै स्नान तो करना है! सारी टिकट बन चुकी है! पत्नी सविता को कहा चिंता मत करो, दवा से सब ठीक हो जायेगा! 26 जनवरी को सुबह 10 बजकर 10 मिनट पर देल्ही रेल्वे station, 11 बजे धूला कुआ और वहा से बस ले कर तीन बजे Chandwa ji एवं Chandwaji से बस ले कर श्याम को चार बजे चोमू घर आ गया! समान पैक कर 27 जनवरी को श्याम के पांच बजे प्रयागराज महाकुम्भ के लिये आदरणीय पंडित महेश शास्त्री, ओम बर्रा जी एवं यात्रियों के साथ रवाना हो गये! रास्ते मै पत्नी को दवा देता रहा की कैसे भी ठीक हो जाए तो प्रयागराज महाकुम्भ की यात्रा सफल हो जाए!
रास्ते मै भक्ति से युक्त भजन करते के माहौल मै जाम को पार करते हुए जब
प्रयागराज महाकुम्भ मै पहुँच गये तो पता लगा कि मोनि अमावस्या के स्नान के लिये करीब दस करोड़ लोग आ रहे ह जिसके चलते बस को करीब बीस किलोमेअटेर पार्किंग मै खड़ा कर वहा से पेदल चल कर त्रिवेणी मै पवित्र डुपकी लगाई जा सकती है! 20 Kilo Meter पेदल चलना, उपर से पत्नी सविता की तबियत खराब, चार बेग मै सामान!पत्नी सविता से पूछा 20 km चल पाओगी या नहीं! पत्नी ने कहा जब प्रयागराज महाकुम्भ मै पहुँच गये है तो ईश्वर पेदल चलने की ताकत भी देगा! जैसे ही प्रयागराज महाकुम्भ एरिया मै कदम रखा पत्नी ने कहा मै ठीक महसूस कर रही हूँ, पैदल चल सकती हूँ! वही आदरणीय पंडित महेश शास्त्री जी एवं ओम बर्रा जी ने कहा कि त्रिवनी संगम मै स्नान करने चलो! स्नान के बाद बच्छेर पार्किंग मै खम्बा नंबर 139 पर वापस लोटना है! हमने उनके निर्देशों का पालन कर पेदल चलना आरंभ किया, Rasta लम्बा था, सब को उन्होंने अपने तीन यात्रियों की पहचान के लिये केसरिया रंग की एक एक टोपी दे दिया! हमने गर्व से वह टोपी लगाई और चल पडे प्रयागराज महाकुम्भ मै गंगा, यमुना एवं सरस्वती के त्रिवेणी संगम मै अमृत स्नान के लिये! समान में एवं मेरे दोनो पुत्रो केदार एवं लीलाधर् ने ले लिया! रास्ते मै बहुत भीड़ थी, सभी यात्रियो ने टोपी लगा रखी थी, इसके बाद कुछ Kilo Meater चलने के बाद देखा तो सभी यात्री अलग हो चुके थे! हम चार लोग सपरिवार आपस मै दिख रहे थे! हमने सोचा कि हम गुम गए है, सह यात्रियों से बिछुड़ गये है! हिम्मत नही हारी, आदरणीय पंडित महेश शास्त्री जी, ओम बर्रा जी के आदेश कानों मै गूंज रहे थे, संगम पहुँचकर ही रुकना है! रास्ता नहीं जानते थे, आर्मी अफसर, पुलिस अधिकारी, स्नान कर लोट रहे भक्तो को, संतो को, अखाड़ो मै लोगो को पूछते हुए लगातार करीब छह घंटे पेदल चल कर प्रयागराज महाकुम्भ के तिर्वेणी संगम घाट पर पहुँच ही गये! यू कटा प्रयागराज महाकुम्भ पर्किग से तिर्वेणी संगम तक का सफर:बस से उतरते ही मन मे एक अलग सा जोश और जुनून था, सभी यात्रियों के मन मे! उनमें से में भी एक था! भीड़ को देखते हुए पत्नी सविता एवं बच्चो केदार एवं लीलाधर को कहा, किसी भी हाल मे हमे एक दूसरे का साथ नहीं छोड़ना है! हाथ पकड़कर भीड़ से बच कर चलना है! पार्किंग से खुले मैदान से होते हुए रोड एवं रेलवे ब्रीज को क्रॉस करते हुए नदी के करीब एक किलो मीटर लम्बे ब्रीज को क्रॉस करने की बारी आई! जीवन मै पहली बार चलकर ब्रीज को पार करने का रोमांचक अनुभव था! इस कारीब दस से पंद्रह फीट चौड़ा ब्रीज पर तिल धरने की जगह नहीं थी! इतनी भीड़ से यह ब्रीज अपनी कैपिसिटी से ज्यादा लोगों को अपने उपर से आने जाने दे रहा था! मुझे डर लग रहा था कि कही कुछ अनहोनी न हो जाए! जब ब्रीज क्रॉस किया तो जान मै जान आई! आगे चलकर ईट नुमा टाइल की सड़क मिली! जिस पर जनता कीड़ी नगरा की जैसे आ रही एवं जा रही थी! बीच बीच मै सेक्टर मै विभाजीत अखड़ो मै जाने के क्रोसिंग बने हुए थे! उन चोरोहो पर चारो तरफ से वाहन एवं आम जन के आगमन से भीड़, जाम का अहसास होता! जाते समय इस रोड के दाई तरफ एवं आते समय बाई तरफ कुछ सो मीटर की दूरी पर खाने की, फल एवं पूजा एवं जरूरी समान की छोटी छोटी दुकाने भी देखने को मिली! इन दुकानों से हमने पानी, फल एवं खाने की वस्तु खरीदी और भूख- प्यास लगने पर इनका सेवन करते हुए आगे बढ़ते गये! चलने की आदत नहीं होने के कारण करीब तीन चार km चलने के बाद पाव दिखने लगे, मगर भजनों के बीच भोले नाथ, bhagwan राम एवं अन्य देवताओ को याद करते आगे बढ़ने लगे! लोगों को, पुलिस को, जो स्नान कर लोट रहे भक्त थे उन्हे पूछते कि भाई घाट कितनी दूर है कोई कहता passr ही हैं, कोई कहता 10 से 15 km है कोई कहता बहुत दूर है! इसके बीच कुछ motercycle पर लोगो को लाते ले जाते भी देखा तो हमारा मन भी हुआ क्यो न जल्दी से मोटर cycle से पहुँच जाए! एक मोटर cycle वाले से पूछा! उसने कहा तीन चार km आगे उतार दुगा, दो लोगों के 600 रुपये लूगा! मगर मन नहीं माना, पैदल ही सफर तय करने का निर्णय लिया!
पैदल चलते चलते एड़ियों, पिंडलियो, घुटनों मे दर्द होने लग गया! उड़ती धूल से, हवन की अग्नि के धुए से आखो मे जलन होने लग गई! भीड़ मै लोगो की कोहनी की टक्कर, पीछे से dabti चप्पल कभी चोट तो कभी गिरने का अहसास कराती! ईन सब को नजर अंदाज करते हुए आगे बढ़ते गए! कभी अखाडो मै संतो के दर्शन होते, भजन सुनते, यग दखते, मनमोहक भगवन की झाकी तो लंगर के अंदर खाना खाने वाले लोगो की लंबी कतार! रास्ते मै भगवा धारी अनेक संतो, साधवियो, साधुओ के भी दर्शन हुए! रास्ते मै थककर चूर हुए हजारों भक्त रास्ते मै ही सो गए! इस प्रकार करीब नो बजे संगम घाट पर पहुँचे! चारों और सफेद रोशनी से एवं अन्य कई प्रकार की लाईट की रोशनी से जगमग कई kilomeater लम्बे इस संगम घाट पर पहुँच गए तो मन को शकुन मिला! घाट पर देखा की हजारों भक्त पहले से ही डेरा जमाकर सो रहे थे तो कई आराम भी कर रहे थे! उनमे से कुछ एक से पूछा तो उन्होंने बताया कि सुबह ब्रहम मुहूरत मै स्नान करेगे! मगर हमने ब्रहम मुहूरत का लालच छोड़कर घाट पर पहुँच कर रात को करीब साढ़े नो बजे अमृत स्नान किया! पूजा की, पूर्वजो, पितृ देवताओ को याद किया! तिर्वेणी के इस संगम घाट पर गंगा, यमुना एवं सरस्वती की पूजा अर्चना कर, जहाँ पर आदरणीय पंडित महेश शास्त्री जी, ओम जी बर्रा ने विहिप के अखडे मै रात्री विश्राम की ववस्था की थी वहा सो गए!
जब भीड़ मै फसने पर जान पर बन आई: संगम घाट पर जाते समय घाट से करीब दो km पहले एक चोराहे पर करीब दस से पंद्रह वाहनों की क्रोसिंग को लेकर Prashasha ने हमे रोक दिया! हम सबसे आगे थे! हमारे पीछे वाहनों की क्रोसिंग के दोरंन् बहुत लोग एकत्रित हो गए! भीड़ का दबाव बढ़ने लगा! धक्का मुक्की होने लगी! मैने पत्नी सविता एवं बच्चो लीलाधर, केदार से चैन बनकर कस कर पकड़ने को कहा! किसी भी सूरत मै हाथ छोड़ने को नहीं कहा! भीड़ का प्रेशर इतना था की ऐसा लग रहा था की कभी भी हाथ छूट सकता है एवं भीड़ हमे धकेल सकती है! शीघ्र ही सारे वाहन क्रॉस हो गये! प्रशासन ने रास्ता खोल दिया, भीड़ एकदम से हमारे उपर आ गई! हमने हिम्मत से काम ले कर एक दूसरे का हाथ पकड़कर साइड मै हो लिये, तब जा कर जान मै जान आई! दुखद समाचार ने हिला दिया: विहिप के अखाड़े मै रात को सो कर जब सुबह उठा तो मोबाइल पर समाचार देखा कि संगम घाट पर मध्य रात्री करीब दो बजे भीड़ के कारण भगदड़ मच गई! जिससे करीब 30 से 40 लोगो की मौत हो गई! इस समाचार ने हिला दिया! अंदर ही अंदर भगवंन को धन्यवाद भी दिया कि मोनि अमावस के 7:30 बजे मंगलवार को आगमन के बाद 9:30 पर हमे स्नान करवा कर सुरक्षित अखाड़े मै लोटा दिया!
विहिप के अखाड़े से पार्किंग की तरफ बस मै वापसी के समय रास्ता भटक गये: वापसी के समय ईट की टाइल की रोड की जगह डामर की रोड की तरफ चले गए! कुछ km चलने के बाद पता चला की हम गलत रास्ते की और जा रहे है! कुछ और km आगे चलने पर लेटे हुए हनुमान जी का मंदीर मिला, वहा उनके दर्शन कर उनकी परिक्रमा कर उनसे निवेदन किया कि सही रास्ता दिखा दे! इतने मै एक सज्जन को अपनी परेशनि बताई! उन्होंने उस मन्दिर के पासवाले रास्ते से जाने को कहा जो की बहुत सी पार्किंग को क्रॉस करता हुआ नदी पर जाकर बंद हो जाता है! हम बुरी तरह घबरा गये, थक भी गये, हर हाल मै श्याम पांच बजे तक पार्किंग मै खड़ी बस तक पहुँचकर वापस चोमू लोटना था! इतने मै आर्मी के एक Karwa को हमने अपनी परेशानी बताई! हम गुम चुके थे! Bhgawan hanuman जी के रूप मै उस आर्मी ऑफिसर ने हमे रास्ता बताया! उनके बताई रास्ते पर हम एक पूल को क्रॉस कर करीब पांच km पदेल चलकर अपने पुराने वाले टाइल के रास्ते पर पहुँच ही गये!अब तक धोपहर के एक बज चुका था! एक कदम चलने की हिम्मत नहीं थी! जैसे तेसै आगे के करीब पंद्रह km का सफर पदेल चलकर पार्किंग मै बस मै पहुँच गये! Moni अमावस के कारण शाही एवं अमृत स्नान मै करीब दस करोड़ लोगो ने डुबकी लगाई! अतअधिक वाहनों के कारण लम्बे जाम एवं घने कोहरे के कारण पार्किंग मै बस मै रात गुजरी! इसके बाद 30 जनवरी को बस से रवाना हो कर सकुशल 31 जनवरी को चोमू पहुँच गये! वापसी मै हम विहिप के अखाड़े से सुबह 7 बजे निकले थे! रास्ता भटक जाने के कारण फाफामऊ पूल होते हुए श्याम को पांच बजे बछेर पार्किंग मै पहुँच पाये! इस समय मै पहले जूसी पार्किंग वाली रोड पकड़ी जो कि हम जहा से आये थे उसके विपरीत दिशा मै सामने की और थी, वहा हमने लेटे हनुमान जी से वापस फाफामउ ब्रीज की रोड एक आर्मी ऑफिसर के मदद करने एवं उसकी सलाह पर कई km पदल चलकर पकड़ी! 144 साल बाद प्रयागराज मै हो रहे महाकुंभ मे अमृत स्नान के बाद मन को शांति मिली, एक नया उत्साह का संचार हुआ, इसके साथ ही अनत पुण्य की प्राप्ति हुई, एक नई सस्कृतिक धरोहर के रूप मै जो स्मृति इस प्रयागराज महा कुम्भ से लेकर लोटे है जिसे की शब्दों मै बया नहीं किया जा सकता! एवं इस महा आयोजन के सफलता पूर्वक चलने पर मै प्रोफेसर रमेश कुमार रावत, पत्नी सविता देवी रावत, पुत्र केदार रावत एवं लीलाधर् रावत देश के माननीय प्रधानमंत्री नरेंद्रमोदी जी, उत्तर प्रदेश के मुख्य मंत्री माननीय योगी आदित्य नाथ जी, सभी उद्योगपति, सभी आर्मी ऑफिसर्स, पुलिसकर्मी, प्रशासनिक अधिकारी, कर्मचारी एवं हर आम जन जो जो कि प्रत्यक्ष एवं अप्रत्यक्ष रूप से प्रयागराज महाकुम्भ मै अपनी तन, मन एवं धन से सेवा दे रहे है उनको सादर प्रणाम करता हूँ! उनके चरणों मै कोटी, कोटी प्रणाम करता हूँ! कुम्भ मै दो दिनों मै बहुत पदेल चले इससे प्रयागराज महा कुम्भ की दो परिक्रमा लगाने का भी पुरे परिवार को सोभाग्य प्राप्त हुआ! इस समय प्रयागराज मै 33 कोटि देवी देवता, तीनों लोकों से आये हुए समस्त देवता, ब्रह्मा, विष्णु, महेश, समस्त पितर एवं अनेक असाधारण शक्तियां एवं संत, पुण्य आत्माए, चारों धाम, ज्योतिर्लिंग के भगवंन, सातों पुरियों के देव एवं सभी
देवता विराज मान है उनके भी पैदल चलने से परिक्रमा लग गई, यह मी मन को संतुष्ट तो करता ही है, असीम शांती भी प्रदान करता है!
सह संपादक डॉक्टर आलोक कुमार द्विवेदी अहमदाबाद गुजरात प्रवासी न्यूज़